भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंडको प्रसिद्ध इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिला है. राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ‘रेत की समाधि’ हिंदी की पहली ऐसी किताब है जिसे अमेरिकन ट्रांस्लेटर डेजी रॉकवेल ने अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया और इसका नाम टॉम्ब ऑफ सैंड रखा. गुरुवार को लंदन में गीतांजलि श्री को इस किताब के लिए पुरस्कार मिला. गीतांजलि श्री को 5 हजार पाउंड की इनामी राशि मिली .
इस उपन्यास में 80 साल की बुजुर्ग विधवा की कहानी है, जो 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद अपने पति को खो देती है. इसके बाद वह गहरे अवसाद में चली जाती है. काफी जद्दोजहद के बाद वह अपने अवसाद पर काबू पाती है और विभाजन के दौरान पीछे छूटे अतीत का सामना करने के लिए पाकिस्तान जाने का फैसला करती है.
जजों के पैनल की अध्यक्षता करने वाले अनुवादक फ्रैंक वाईन ने बताया कि दर्दनाक घटनाओं का सामना करने के बावजूद ये एक असाधारण रूप से अविश्वसनीय पुस्तक है.