केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा ‘स्वराज से नव-भारत तक भारत के विचारों का पुनरावलोकन’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। तीन दिवसीय इस संगोष्ठी का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग ने किया है। उद्घाटन समारोह में केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
श्री अमित शाह ने कहा कि सामाजिक रुप से समविकास होना चाहिए, आर्थिक दृष्टि से समग्र विश्व में देश को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने का हमारा पुरुषार्थ होना चाहिए और इस प्रकार की नीतियां होनी चाहिए, सुरक्षित भारत भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी जी नई शिक्षा नीति लेकर आए हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020। उन्होंने कहा कि यह भारत के भविष्य का उज्जवल दस्तावेज है। 2020 की नई शिक्षा नीति में भारतीय मूल्यों में निहित शिक्षा प्रणाली की परिकल्पना को आज के समय के अनुरूप जमीन पर उतारने का प्रयास किया गया है। हर प्रकार के ज्ञान को एक प्लेटफार्म देने का प्रयास है, रोजगारी को भी प्लेटफार्म देने का प्रयास है। बच्चा सिर्फ पढ़ लिखकर सिर्फ़ ग्रेजुएट होकर बाहर ना निकले, बच्चे में जो क्षमता भरी पड़ी है, उन क्षमताओं का संपूर्ण दोहन करने का उसको प्लेटफार्म देना पड़ेगा। वह अपनी क्षमताओं का सबसे ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर पाए इस प्रकार से उसको तैयार करना चाहिए और यह व्यवस्था नई शिक्षा नीति में है। नई शिक्षा नीति को बारीकी से देखेंगे तो मालूम पड़ेगा कि यह देश के लिए 5-3-3-4 का जो नया मॉडल आया है वो 10+2 के मॉडल की जगह कितना उपयुक्त होने वाला है। मैं मानता हूं कि पहले 5 साल मातृभाषा में पढ़ाई बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी है। न केवल बच्चे के विकास के लिए बल्कि देश के विकास के लिए भी बहुत जरूरी है क्योंकि हमारी संस्कृति, इतिहास, साहित्य, व्याकरण बच्चे को उसकी मातृभाषा में पढ़ाया जाए और अगर बच्चा उसी से कट जाता है तो वह अपने मूल से कट जाता है। उन्होंने कहा कि देश की शिक्षा व्यवस्था में सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं बल्कि दुनिया की किसी भी भाषा का अभ्यास करें लेकिन अगर मैं गुजराती न पढ़ूं, हिंदी न पढ़ूं तो मैं अपने आप को इस देश की मूल धारा के साथ जोड़कर नहीं रख पाऊंगा। मोदी जी ने इस पर थ्रस्ट दिया है। हमारी सरकार ने कई प्रकार से सोच विचार कर, कई लोगों के सुझाव लेकर नई शिक्षा नीति को लागू करने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि शायद यह पहली शिक्षा नीति मोदी जी के नेतृत्व में आई है जिसका कोई विरोध नहीं कर पाया है और सबने इसका स्वागत किया है। यही बताता है कि यह कितनी समावेशी है। नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना, आत्मसात् करना, रिसर्च और प्रोफेशनल्स की एक ऐसी फौज तैयार करना जो देश में आरएंडडी और प्रोफेशनलिज्म को बढ़ाएंगे यही हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्य हैं।