विद्यालय को गोद लेने की मुहिम
अगर किसी देश के भविष्य का आकलन करना है तो वहाँ के विद्यालयों की यात्रा कीजिए । अगर किसी समाज से ग़रीबी, बेरोज़गारी, अशिक्षा, असमानता और हिंसा मिटानी है तो वहाँ के विद्यालयों का नींव निर्माण कीजिये। अगर देश और समाज को सुखी, सम्पन्न, संतुष्ट और सुरक्षित देखना है तो वहाँ के नौनिहालों को अच्छी शिक्षा दीजिए।
मेरी सातवीं तक की पढ़ाई उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर ज़िले की भीटी तहसील के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित “महारानी जूनियर जनता विद्यालय” से हुई थी। खपरैल की छत, कच्ची फ़र्श, सीमेंट के बने ब्लैक्बोर्ड और खुले मैदान ही वहाँ के सबसे बड़े रीसोर्स थे। टाट पट्टी की व्यवस्था खुद करनी पड़ती थी और लकड़ी की तख्ती आज के आईपैड का विकल्प होती थी। ज़्यादातर कक्षाएँ पेड़ की छाँव तले लगती थीं और साइकिल सबसे लगज़ुरीयस सवारी मानी जाती थी।
अपने समय में वह विद्यालय क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय हुआ करता था। लेकिन समय की मार और अभावों के चलते वह विद्यालय अब लगभग खंडहर में तब्दील हो चुका था। सारे कमरे भूमिगत हो चुके थे और ज़्यादातर बच्चे बरामदे में या पेड़ के नीचे ज़मीन पर पढ़ते थे। जिनके पास पैसा था वो बच्चे दूर के अच्छे विद्यालयों का रूख कर चुके थे और जो ग़रीबी और अभावों में जी रहे थे वो जैसे-तैसे इसी विद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे।
कहते हैं न, जिनका कोई नहीं होता उनका भगवान होता है। आदरणीय बड़े भाई साहेब कृष्णगोपाल जी की भगवत् प्रेरणा से मैंने अपने इस विद्यालय को गोद लेने का निर्णय लिया। पुराने विद्यार्थियों और क्षेत्र के संभ्रांत लोगों को जोड़ने का प्रयास किया। गाँव के लोगों और अध्यापकों से मिल बैठकर गंभीर चर्चा की। लोगों से विद्यालय को पुनः सींचने की अपील की। सामाजिक सहयोग और स्थानीय लोगों के प्रयासों ने रंग दिखाया। विद्यालय छः महीनों के भीतर पुनः अपने पैरों पर खड़ा हो गया। निहायत ग्रामीण क्षेत्र में बसे इस विद्यालय में न सिर्फ़ विशाल कमरों का नवनिर्माण किया गया वरन उन कमरों में बिजली, पंखा, फ़र्नीचर , ग्रीन बोर्ड और शैक्षणिक चार्ट्स की व्यवस्था भी की गई। विद्यालय में लाइब्रेरी, विज्ञान कक्ष, प्रायोगिक कक्ष, कम्प्यूटर कक्ष, खेल की व्यवस्था एवं शौचालय की स्थापना भी की गई। बच्चों के स्कूल ड्रेस की व्यवस्था एवं वितरण भी किया गया। शिक्षकों की नियमित ट्रेनिंग भी प्रारम्भ की गई। विद्यालय में स्थित मंदिर का सौंदर्यीकरण भी किया गया।
आज न सिर्फ़ सैंकड़ों विद्यार्थी वहाँ उत्तम शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं वरन वैज्ञानिक, प्रायोगिक एवं रचनात्मक गतिविधियों द्वारा मूल्यों एवं जीवन कौशलों का विकास कर रहे हैं।
आप सबके सहयोग, आशीर्वाद एवं ईश्वर की अनुकंपा से पूरा विद्यालय परिवार आज आह्लादित है। बच्चों की आँखों में भविष्य के नए-नए सपने उमड़ रहे हैं। क्या पता हमारा और आपका यह छोटा सा प्रयास इस देश को एक ऐसा नागरिक दे दे जिसके हाथों में पूरी दुनिया सुरक्षित हो।
इस धरती ने हमें बहुत कुछ दिया है। बिना किसी मूल्य और लालच के। आइए, “ मेरा विद्यालय मेरा देश ” की मुहिम का हिस्सा बनते हुए किसी एक विद्यालय को गोद लेते हैं और इस देश को खूबसूरत बनाने में अपना योगदान देते हैं।