हरिद्वार: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में, हरिद्वार स्थित शांभवी धाम के प्रमुख, स्वामी आनंद स्वरूप ने भूमि अधिनियम में संशोधन की मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गैर हिंदुओं को चार धाम क्षेत्र में खुद की जमीन बनाने, और घर बनाने या व्यवसाय करने की अनुमति नहीं है स्वामी आनंद स्वरुप, जो पिछले साल हरिद्वार धर्म संसद के आयोजकों में से एक थे,जिन्होंने नफरत भरे भाषण दिए गए थे। अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ, कहा कि प्रतिबंध “गढ़वाल संभाग के क्षेत्रों में, ऋषिकेश से परे” लगाए जाने चाहिए।
स्वरूप ने लिखा, “गैर-हिंदू इस क्षेत्र में फैल रहे हैं, व्यवसाय कर रहे हैं, आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं और पवित्र हिमालयी क्षेत्र का नाम खराब कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि एक अभियान – ‘हिमालय हमारा देवालय है’ (हिमालय है देवताओं का निवास) – है, जो चार धाम क्षेत्र को “केवल हिंदुओं के लिए सुरक्षित करना चाहता है । चार धाम में गैर हिंदुओं के प्रवेश को लेकर काली सेना के संस्थापक व शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंदस्वरूप ने कहा कि हमारी मुहिम ‘हिमालय हमारा देेवालय’ लगातार चल रही है।
हिमालय हमारा मंदिर है और मंदिर में मांस, मदिरा और गैर हिंदुओं को हिमालय से दूर करना है। उन्होंने कहा कि गैर हिंदू हिमालय में पहुंचकर मांस का भक्षण कर रहे हैं। इसके साथ ही हमारी नदियों व मंदिरों को अपवित्र कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इनको रोकने के लिए सरकार को कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1980 के पहले कोई गैर हिंदू व ईसाई हिमालय में नहीं था। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया तो काली सेना के कार्यकर्ता खुद सड़क पर उतरेगी। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के मठ-मंदिर सुरक्षित रहेंगे तो संस्कृति भी सुरक्षित रहेगी। उन्होंने कहा कि हिमालय में कभी अंग्रेजों ने मस्जिद और चर्च नहीं बनने दिए। क्योंकि उन्हें पता था कि हिमालय हिंदुओं का पवित्र स्थल है।