केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तत्कालीन अतिरिक्त प्रोफेसर, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर, तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश के तत्कालीन लेखा अधिकारी सहित आरोपियों के खिलाफ रोड स्वीपिंग मशीन की खरीद और एम्स, ऋषिकेश के अंदर एक केमिस्ट की दुकान स्थापित करने के लिए टेंडर देने में लापरवाही के आरोप में नई दिल्ली स्थित एक निजी फर्म के मालिक और अन्य के साथ दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं।
अधिकारियों के अनुसार, यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी लोक सेवकों ने निविदा प्रक्रिया से संबंधित भारत सरकार के दिशानिर्देशों का घोर उल्लंघन किया, फर्जी आधार पर प्रतिष्ठित बोलीदाताओं की बेईमानी से जांच की और उन महत्वहीन फर्मों को अनुमति दी जिन्होंने अपने निविदा दस्तावेजों में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था।डील में बने रहने के लिए यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने इन निविदाओं में कार्टेल गठन के अस्तित्व को जानबूझकर नजरअंदाज किया। इसके बाद आरोपी ने कथित तौर पर अपराध के महत्वपूर्ण सबूतों को गायब कर दिया। एम्स को रोड स्वीपिंग मशीन की खरीद में लगभग 2.41 करोड़ रुपये और केमिस्ट की दुकान की स्थापना के लिए निविदा के पुरस्कार में लगभग दो करोड़ रुपये का कथित नुकसान हुआ है।
दोनों मामलों में शुक्रवार को उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में 24 अलग-अलग स्थानों पर तलाशी ली गई।
लगभग 2.41 करोड़ रुपये के नुकसान से संबंधित पहले मामले में आरोपी तत्कालीन एम्स स्टाफ में तत्कालीन अतिरिक्त प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, बलरामजी उमर, डॉ बृजेंद्र सिंह, तत्कालीन प्रोफेसर और प्रमुख, एनाटॉमी विभाग, डॉ अनुभा अग्रवाल, तत्कालीन सहायक शामिल हैं। प्रोफेसर (अस्पताल प्रशासन), शशि कांत, तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी, दीपक जोशी, तत्कालीन लेखा अधिकारी, पुनीत शर्मा, प्रो-मेडिक डिवाइसेस, दिल्ली के मालिक और अज्ञात लोक सेवक और निजी व्यक्तियो से सम्बंधित है

