सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज द्वारा कराई गई शादियों के सर्टिफिकेट को गैरकानूनी करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि शादी का प्रमाण पत्र देना आर्य समाज का काम नहीं है।
दरअसल कोर्ट में मध्यप्रदेश की एक नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी।
लड़की के घरवालों ने उसे नाबालिग बताते हुए अपनी लड़की के अपहरण और रेप की FIR दर्ज करा रखी है, जबकि युवक का कहना था कि लड़की बालिग है। उसने अपनी मर्जी से विवाह का फैसला किया है। यह विवाह आर्य समाज मंदिर में हुआ है।
आर्य समाज एक हिंदू सुधारवादी संगठन है और इसकी स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में की थी।
वेकेशन बेंच के जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना ने आरोपी के वकील की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि विवाह प्रमाण पत्र देना आर्य समाज का काम नहीं है। यह अधिकारियों का काम है। असली सर्टिफिकेट दिखाओ।
भारत में आर्य समाज की शादी के लिए एक अधिनियम भी बनाया गया है, जिसे मैरिज वैलिडेशन एक्स, 1937 कहा जाता है। यह अधिनियम आर्य समाज की शादी की वैधता के संबंध में उल्लेख करता है। हालांकि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया कि आर्य समाज के शादी प्रमाण पत्र कानूनी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आर्य समाज की तरफ से जारी विवाह प्रमाण पत्र को कानूनी मान्यता देने से मना कर दिया है।