नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्यों को स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण के लिए पिछले साल निर्धारित ट्रिपल टेस्ट का पालन करने का आदेश दिया है। यह आदेश मध्य प्रदेश में 23,000 से अधिक खाली पंचायत सीटों की याचिका के जवाब में आया है।
दिसंबर में अदालत ने राज्य चुनाव आयोग को स्थानीय निकायों में ओबीसी सीटों को सामान्य सीटों के रूप में फिर से अधिसूचित करने और चुनाव कराने का निर्देश दिया था । जस्टिस एम खानविलकर, एएस ओका और सीटी रविकुमार की बेंच ने खाली 321 शहरी निकायों और लगभग 23,260 पंचायत सीटों पर गंभीर आपत्ति जताई उन्होंने कहा कि इस तरह का आचरण कानून के शासन को तोड़ती है ।
मध्य प्रदेश चुनाव प्रहरी ने अदालत को सूचित किया कि अधिकांश खाली सीटों को लगभग दो साल से भरा जाना था।
अदालत ने चुनाव प्रहरी को दो सप्ताह के भीतर चुनावों की सूचना देने का निर्देश दिया है उन्होंने स्पष्ट किया कि न तो परिसीमन और न ही ट्रिपल टेस्ट अनुपालन रिक्त सीटों को भरने में देरी कर सकता है। अदालत ने कहा कि संवैधानिक आवश्यकता के अनुसार हर पांच साल के बाद निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा सीटों का प्रतिनिधित्व किया जाना चाहिए। पिछले साल मार्च में एक फैसले में निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला देश भर के सभी स्थानीय निकायों के चुनावों पर लागू होगा और सभी राज्यों और चुनाव आयोगों के लिए आवयश्क है।
अदालत ने पिछले हफ्ते इस मामले में यह कहते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था कि यह न केवल इस राज्य में बल्कि अन्य राज्यों में भी एक बेतुकी और सामान्य स्थिति है। उन्होंने कहा जब संवैधानिक योजना के लिए रिक्त होने के छह महीने के भीतर सीटें भरने की आवश्यकता होती है इसके तथा अंतर्गत देरी की अनुमति नहीं दी जा सकती है । अदालत ने पहले महाराष्ट्र के संबंध में इसी तरह के आदेश पारित किए थे, जहां स्थानीय निकायों के चुनावों में ट्रिपल टेस्ट लागू किया गया था महाराष्ट्र ने भी पंचायत समिति और जिला परिषद स्तरों पर ओबीसी सीटों को भरने का विरोध किया जब तक कि यह ट्रिपल टेस्ट नहीं था ।
इस ट्रिपल टेस्ट के लिए राज्यों को ओबीसी की सीमा और पिछड़ेपन को मापने के लिए डेटा एकत्र करने के लिए आयोगों की स्थापना करने की आवश्यकता है। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में ओबीसी के पिछड़ेपन की सीमा की जांच करने और उनके लिए लागू आरक्षण की मात्रा निर्धारित करने के लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया है। लेकिन अदालत ने कहा कि आयोग को अपनी सिफारिश के आधार पर ओबीसी सीटों का भी सीमांकन करना आवश्यक है और उसके बाद ही ट्रिपल टेस्ट का अनुपालन माना जाएगा।