लाल किला महोत्सव-भारत भाग्य विधाता देश भर के प्रामाणिक कलाओं, शिल्प एवं वस्त्रों के प्रदर्शन के जरिए सांस्कृतिव व आर्थिक दृष्टि से टिकाउ तरीके से शिल्पियों की जीविका में सुधार लाने में मदद कर रहा है। प्रतिष्ठित धरोहर पर आयोजित हो रहे इस सांस्कृतिक सम्मिलन व शानदार आयोजन लाल किला महोत्सव-भारत भाग्य विधाता के सतरंगी बाजार में दक्ष शिल्पियों के द्वारा उत्कृष्ट क्वालिटी के ‘मेड इन इंडिया’ उत्पाद प्रदर्शित कर भारत के विविध व समृद्ध पारंपरिक हस्तशिल्प का फ्यूजन देखने को मिल रहा है।
भारत की आजादी के 75 वें साल के आयोजन के तहत भारत सरकार के आजादी का अमृत महोत्सव के एक अंग के तौर पर इस महोत्सव के जरिए स्मारक मित्र (मोन्यूमेंट मित्र) डालमिया भारत लिमिटेड का उद्देशय समुदायों के भीतर राष्ट्रीय गौरव की भावना जगाते हुए उनके लिए नियोजन व अवसरों में सुधार लाना है।
आर्गोनिक उत्पादों के उपयोग और टिकाउ (हैंडलूम) उत्पादों के प्रयोग की वैश्विक चेतना की लहर के चलते फेयर ट्रेड प्रैक्टिस के जरिए भारत के अनूठे हस्तशिल्प, कला व वस्त्रों की मांग में भारी इजाफा देखा जा रहा है। इसका एक उद्देश्य भारत के हस्तशिल्पियों के बहुआयामी कौशल को सम्मान के साथ जीविकोपार्जन के योग्य बनाना भी है। भारतीय कलाओं के प्रदर्शन के साथ महोत्सव विश्व की सबसे प्रचीन सभ्यताओं में से एक भारत की अमर कला व शिल्प की मदद कर रहा है।
अप्रैल 3 तक प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात 10 बजे तक चलने वाले इस महोत्सव में 28 मार्च को रात 8.00 बजे घराना फ्यूजन की ओर से अलाप, बोल और सरगम जैसे लोक स्वरों की अभिव्यंजना का प्रदर्शन होगा वहीं 8.30 बजे से भारत की महान सुर कोकिला लता मंगेशकर को गायिका चेतना भारद्वाज की ओर से हृद्यस्पर्शी श्रद्धांजलि दी जाएगी।
लाल किला महोत्सव के सतरंगी बाजार में प्रदर्शित हो रही समृद्ध कला, शिल्प व वस्त्रों में कुछ प्रमुख हैं….
• गुजरात: अजरख, पटन पटोला, माशरु, बंधानी और भुजौडी हैंडलूम
• पश्चिम बंगाल: तेलंगाना की इकत साड़ियां, टंगाली व जामदानी बुनाई
• आंध्र प्रदेश: मंगलागिरी और उप्पाडा पट्टू डिजायन के साथ इटिकोपक्का व कोंडापल्ली खिलौने
• कश्मीर: सोजनी एम्ब्रायडरी और पेपर मैश के उत्पाद
• नागालैंड और आसाम की बुनकरी: चिजामी और सनेकी
• ओडिशा: कोटपाड़, बांधा, महोश्वरी, चंदेरी के वस्त्र के साथ यहां की ढोकरा और आदिवासी ज्वैलरी और पट्टचित्र कला
• मध्य प्रदेश: बाघ प्रिंट्स, चंदेरी और भील पिठौरा व गोंड आदिवासी पेंटिंग्स
• झारखंड: टसर सिल्क
• महाराष्ट्र: पैठनी, करवथ काटी प्रिंट्स, ईकोकारी आयटम व यहां की वर्ली लोक कला
• राजस्थान: पिछवाई व फाड पेंटिंग्स और दाबू, लहरिया, दस्तकार रणथंभौर व शिबोरी प्रिंट्स के साथ पटवा ज्वैलरी, चमड़े के शिल्प और श्यामोता ब्लैक पाटरी
• बिहार: मधुबनी आर्ट, सुजानी सहित एम्ब्रायडरी