नैनीताल: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही में आरटीआई अधिनियम के तहत एक जवाब में स्पष्ट किया कि 50 पैसे का सिक्का (किसी भी आकार का) अभी भी एक वैध मुद्रा है और 10 रुपये तक के ऐसे सिक्कों को कानूनी निविदा के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। जवाब में यह भी कहा गया कि 10 रुपये से अधिक के 50 पैसे के सिक्के स्वीकार नहीं करने वाले के खिलाफ सिक्का अधिनियम 2011 की धारा 6/1 के तहत कानूनी कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है।
यह जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट क्लब के प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल गोल्डी उत्तराखंड द्वारा मांगी गई थी। , आम जनता के बीच गलत धारणा के बाद कि 10 रुपये का सिक्का भी “वैध मुद्रा नहीं है उन्होंने कहा कि कुछ लोग इन दिनों एक रुपये के छोटे सिक्के को भी लेने से इनकार करते हैं। गोल्डी के एक अन्य आरटीआई सवाल का जवाब देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के जन सूचना अधिकारी सुमन राय ने कहा कि अगर किसी नोट पर रंग, स्याही या पेन से कुछ लिखा है तो ऐसे नोट बैंकों में जमा किए जा सकते हैं। इसके अलावा, भारतीय बैंक नोट रिफंड नियम 2009 और संशोधित नियम 2018 के माध्यम से बैंकों द्वारा कटे-फटे और अधूरे नोटों को स्वीकार किया जाएगा ।
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने 50 पैसे व उससे ऊपर 10 रुपये तक के सिक्कों को पूरी तरह से वैध बताया है। इनके प्रचलन को बाधित करने वाले पर विधिक कार्रवाई हो सकती है। अफवाहों की आड़ लेकर तमाम दुकानदार एक रुपये के नए सिक्के भी लेने से इनकार कर देते हैं, ऐसे मामलों में लोग कानून का भी सहारा ले सकते हैं।